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अभिसार

abhisar

अनुवाद : श्रीनिवास उद्गाता

प्रतिभा शतपथी

और अधिकप्रतिभा शतपथी

    मेरे वहाँ दौड़कर पहुँचने तक

    तुम वहाँ थे नहीं

    सुनाई देता था संगीत तुम्हारा

    सुंदर तुम्हारी आँख की पंखुड़ियाँ

    काँपती नहीं थीं आवेग से

    खड़े होकर राह तकते-तकते

    आसानी से कैसे बन गए पेड़ एक

    मुखशाला के सामने का वह बकुल वृक्ष तुम हो

    जिसकी शाखों से

    झरते हैं महकीले बेशुमार फूल

    घने हरित पत्तों में

    हुलसती थी हवा

    मैं तो उल्लास से

    तुम्हारे पास दौड़ी चली आई

    तीन सौ पचास कोस से

    आकाश पर पतली-सी बदली

    सफ़ेद छोटे-से रूमाल की भाँति

    उड़ रही थी फरफर

    पर तुम वहाँ थे नहीं

    ऊबड़-खाबड़

    तन को तुम्हारे छू-छूकर

    थकान और अवसाद से सूखे

    तुम्हारे होठों को याद कर

    शून्य की ओर ताक कर

    पुकारने लगी मैं—

    “विनिद्र आँखों को मेरी,

    स्मृति के जंजालों से बोझिल ललाट को मेरे

    एक बार सहला तो दो!”

    पवन स्तम्भित हुआ

    निस्तब्ध आकाश

    निर्वेद और निरुत्ताप चारों ओर स्थावर जंगम,

    सामने सिवार ढँका अधढहा देवल

    विपर्यस्त सीढ़ियाँ

    भीतर शायित देव-मूर्ति, बाहर साँकल

    चार कच्चे पत्ते थे धरती पर बिखरे…

    बुला रहे थे क्या सचमुच!

    या मैं केवल अनन्योपाय हो

    सोच लिया लौटूँगी उस ओर

    लौटने की राह पर थी इतनी सुगंध

    यद्यपि थीं आँखें मेरी आँसू से सजल

    मन का सूना भंडार पूर्ण था नई फसल से

    यद्यपि कोह से अवरुद्ध था कंठ

    दुपहरी पलटती धूप में

    तुम्हारी थकान, अवसाद, यंत्रणा को मैं तो

    मिटा सकती थी मात्र एक ही चूमा से

    हाय, ऐसी देर कैसे हुई!

    स्रोत :
    • पुस्तक : समय नहीं है (पृष्ठ 9)
    • रचनाकार : प्रतिभा शतपथी
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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