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कविता और टैक्स-इंसपेक्टर

kavita aur tax inspector

व्लादिमीर मायाकोव्स्की

व्लादिमीर मायाकोव्स्की

कविता और टैक्स-इंसपेक्टर

व्लादिमीर मायाकोव्स्की

और अधिकव्लादिमीर मायाकोव्स्की

    नागरिक टैक्स-इंसपैक्टर

    क्षमा चाहता हूँ

    तुम्हें कष्ट देने के लिए

    आपको धन्यवाद...

    कष्ट करें...

    मैं खड़ा ही रहूँगा...

    मेरे व्यापार का स्वभाव कोमल है

    उसका संबंध श्रमिकों के समाज में

    कवि के स्थान से है

    भंडारों और कृषि-संपत्ति के स्वामियों की तरह

    मैं भी टैक्स और जुर्माने के अधीन हूँ

    छमाही के लिए आप मुझ पर

    दावा कर रहे हैं पाँच सौ का

    और पच्चीस इसलिए कि मैंने

    समय पर रिटर्न नहीं भेजा

    ज़रा सोचो—मैंने कितना गँवाया है

    अपने उत्पादन पर

    और कितना व्यय किया है सामान पर

    निश्चय ही तुम जानते होगे

    उस चमत्कार के बारे में

    जिसे तुक कहते हैं

    मान लो एक पंक्ति का अंतिम शब्द है

    —'मार'

    तो अगली पंक्ति में अक्षरों को गुनगुनाते हुए

    हम कुछ इस तरह रखते हैं जैसे—'प्यार'

    तुम्हारी भाषा में 'तुक' प्रामिसरी नोट है

    जिसे अगली पंक्ति में सकारना अधिनियम है

    तुम उपसर्गों और विभक्तियों की

    छोटी रेज़गारी

    संज्ञा और क्रिया रूपों की

    ख़ाली तिजोरी में खोजते रहते हो

    तुम पंक्ति में एक शब्द

    ठेलना शुरू करते हो

    लेकिन यह इसमें ठीक नहीं बैठता

    तुम इस पर ज़ोर आज़माते

    और यह टूट जाता है

    नागरिक टैक्स इंसपैक्टर

    मैं तुमसे सत्य कहता हूँ—

    शब्दों पर कवि की काफ़ी लागत आती है

    हमारी भाषा में 'तुक' डायनामाइट की नली है

    और पंक्ति एक पलीता है

    जो छोर तक सुलगकर विस्फोट करती है

    एक ही छंद में नगर को

    बहुत ऊँचा उड़ाकर रख देती है...

    तुम कहाँ खोजोगे

    और किस दर पर कर निर्धारित करोगे

    उन तुकों पर जो निशाना साधती हैं

    और जो एक ही छर्रे में मारती हैं

    किसी जगह ऐसा भी होता है

    सिर्फ़ पाँच-छ: अप्रयुक्त तुकें होती हैं

    जैसे वैनीजुएला

    और इसीलिए मुझे ठंडे और गर्म देशों का

    सफ़र करना होता है

    मैं उधर भागता हूँ

    जिसके कारण अदायगियों और

    क़र्ज़े में फँस जाता हूँ

    महोदय

    मेरे यात्रा-व्यय का ध्यान रखें

    कविता अज्ञात की यात्रा है

    और यही इसका सब कुछ है

    कविता रेडियम की खदान की तरह है

    जिसमें एक ग्राम के लिए

    एक साल लगता है

    केवल एक शब्द के लिए

    हज़ारों टन शब्द-खनिज फैलाना पड़ता है

    कच्चे शब्द-खनिज के दहन की अपेक्षा

    इन शब्दों के दहन से

    कितना अधिक ताप निकलता है

    ये शब्द लाखों दिलों को

    हज़ारों सालों के लिए

    गतिशील बना देते हैं

    निश्चय ही कवि कई प्रकार के होते हैं

    कुछ तेज़ी से असर करते हैं

    जैसे जादूगर अपने मुख से

    कोई बात निकालते हैं

    और दूसरे लोगों से भी

    वही कहला लेते हैं

    गीतकार हीजड़ों की बात करना व्यर्थ है

    वे उधार की पंक्ति पर फिसल जाते हैं

    और प्रसन्नता पाते हैं

    एक सामान्य प्रकार की

    डकैती और ग़बन है

    ग़बन एक प्रकार का

    जो देश में प्रचलित है

    ये तुकबंदियाँ और सम्बोध-गीत

    जो आज वाहवाही के बीच

    चीख़ों और सिसकियों में गाए जा रहे हैं

    इतिहास के गर्त में चले जाएँगे

    उन उपलब्धियों के रूप में

    जो हममें से दो या तीन ने पाई हैं

    किसी आदमी की धमनियों की गहराई से

    एक मूल्यवान शब्द निकालने के लिए

    चालीस पौंड नमक खाना

    और सौ सिगरेट पीना पड़ जाता है

    इस तरह मेरा निर्धारित कर

    फ़ौरन ही कम हो जाता है

    देय कर राशि में से

    पहिये की तरह का एक शून्य काट दीजिए

    एक नब्बे रूबल सौ सिगरटों के

    एक साठ रूबल नमक के

    तुम्हारे फ़ार्म में प्रश्नों की भीड़ है—

    क्या तुमने कारोबार के सिलसिले में

    यात्रा की है या नहीं

    किंतु इससे क्या

    यदि मैंने गत पंद्रह वर्ष में

    दस उड़न-अश्वों पर सवारी की है

    और यहाँ इस खंड में मेरी जगह

    आप आपने को रखिए

    आपने सेवकों और संपत्ति के बारे में पूछा है

    किंतु इससे क्या

    मैं जनता का नेता हूँ

    और साथ ही जनता का सेवक हूँ

    मेहनतकश हमारे ही मुख से बोलता है

    हम—सर्वहारा—क़लम के ड्राइवर हैं

    जैसे ही साल बीतते हैं

    आत्मा की मशीन थक जाती है

    लोग कहते हैं—

    अब उचित समय है

    इसे ताक पर रख देना चाहिए

    यह अपने आपको ही लिखता रहा है

    प्यार कम-से-कम होता जा रहा है

    साहस कम-से-कम होता जा रहा है

    काल मेरे भाल से टकरा रहा है

    काल अति भयावने रूप में

    हृदय और आत्मा से

    ऋण बसूलने आता है

    जब सूरज एक मोटे सूअर की तरह

    भविष्य में उगेगा

    जब भिखारी और विकलांग नहीं होंगे

    तब मैं मर कर किसी फैंस के नीचे

    अपने दर्जनों साथियों के साथ

    सड़ चुका होऊँगा

    मेरे मरने के बाद की बैलेंस-शीट तैयार करिए

    मैं इसके द्वारा घोषणा करता हूँ

    और मैं निश्चित रूप से यह जानता हूँ

    कि मैं आजकल के अवैध व्यापारियों

    और धोखेबाज़ों की तुलना में

    असत्य नहीं बोल रहा हूँ

    मैं सिर्फ़ गर्दन तक क़र्ज़े में डूबा हूँ

    हमारा काम है—

    निर्भीक कंठ से तूर्य की तरह

    असभ्यता के कुहासे

    और उत्तेजित झंझा में गर्जना

    कवि दुनिया का सदा ऋणी रहता है

    जुर्माने और सूद

    दुःख पर अदा करता है...

    मैं ऋणी हूँ

    ब्रॉडवे के प्रकाश का

    आपका

    बागदादि के प्रकाश का

    लाल सेना का

    जापान के चैरी वृक्षों का

    और उन सारी चीज़ों का

    जिनके विषय में लिखने का

    मुझे समय ही नहीं मिला

    लेकिन इस अनाप-सनाप का मतलब क्या है

    तुक से निशाना लगाना

    और तुक में ही ग़ुस्सा निकालना

    नागरिक नौकरशाह

    कवि का शब्द तुम्हारा पुनर्जन्म है

    तुम्हारी अमरता है

    कविता की एक पंक्ति

    काग़ज़ के चौखटे में आने के लिए

    शताब्दियाँ लेती है

    और काल को वापस लौटा लाती है

    आज के दिन टैक्स इंसपैक्टरों के साथ

    इसके चमत्कारों की चमक

    और स्याही की गंध से फिर सुबह होगी

    वर्तमान के पुराने निवासी

    जनता-संचार-कमिसरियत में जाकर

    अपने लिए अमरता का टिकट ले लीजिए

    और कविता के प्रभाव का हिसाब लगाकर

    मेरी आय को तीन सौ वर्षों के बाद तक

    फैला दीजिए

    कवि केवल इसलिए शक्तिशाली नहीं होता

    कि आप याद करते हैं

    या भविष्य में लोग हिचकियाँ लेंगे

    नहीं

    आज भी कवि की कविता

    एक चुंबन एक नारा एक संगीन

    और एक कोड़ा है

    नागरिक टैक्स-इंसपैक्टर

    मैं तुम्हारी संख्या के सारे शून्य काट दूँगा

    और सिर्फ़ पाँच दूँगा

    अपने अधिकार के रूप में मैं अपेक्षा करता हूँ

    ग़रीब मज़दूरों और किसानों के वर्ग में

    एक इंच भूमि की

    और अगर आप सोचते हैं—

    मैं बस इतना ही करता हूँ

    कि दूसरे लोगों के शब्दों को

    काम में लाता हूँ

    तब तो कामरेड

    मेरी यह क़लम लो

    और जितना चाहो

    उतना अपने आप लिख लो।

    'किसी आदमी को जानने के लिए तुम्हें उसके साथ चालीस पौंड नमक खाना चाहिए।' : यह एक रूसी कहावत है।

    बागदादि : जॉर्जिया में मायाकोव्स्की का जन्म स्थान, जिसका वर्तमान नाम मायाकोव्स्की है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 99)
    • रचनाकार : व्लादिमीर मायाकोव्स्की
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
    • संस्करण : 1975
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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