जीवित रहना बनाम लगभग जीवित रहना
jiwit rahna banam lagbhag jiwit rahna
आत्मा सिर्फ़ एक शब्द भर बची है
अब उसके आँगन में नहीं लगती कोई अदालत
जीवित हैं जो वे जीवित रहने का अभिनय कर रहे हैं
विद्रोहियों को भी समर्पण का संक्रमण लग चुका है
आईने से सामने जाने से अब कोई नहीं डरता
आइने ख़रीदे जा चुके हैं
अब वे न्यायाधीशों की तरह सुंदरता के वकील बन गए हैं
कुरूपता को अब कुरूपता नहीं कहता कोई
कुरूपता के लिए 'लगभग सुंदर' शब्द गढ़ लिया गया है
देश में लोकतंत्र लगभग लोकतंत्र में बदल चुका है
हम स्वतंत्र नहीं बल्कि लगभग स्वतंत्र हैं
मर जाने से बेहतर नहीं होता लगभग मर जाना
जीवित रहने का विकल्प लगभग जीवित रहना कभी नहीं हो सकता।
- रचनाकार : अनुराग अनंत
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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