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जिन लड़कियों के प्रेमी मर जाते हैं

jin laDakiyon ke premi mar jate hain

विहाग वैभव

विहाग वैभव

जिन लड़कियों के प्रेमी मर जाते हैं

विहाग वैभव

और अधिकविहाग वैभव

    पहले तो उन्हें इस ख़बर पर विश्वास नहीं होता

    कि धरती को किसी अजगर ने निगल लिया है

    सूरज आज काम पर नहीं लौटेगा

    आज की रात एक साल की होगी

    फिर जैसे-तैसे घर के किसी कोने में दफ़्न हो जाती हैं

    और अपनी ही क़ब्र में

    बिलखकर रोती हैं

    मुँह बिसोरकर रोती हैं

    तड़पकर रोती हैं

    तब तक रोती हैं कि होश जाता नहीं रहता

    और गले के भीतरी हिस्से

    कोई गहरा घाव नहीं बन जाता

    उन्हें बहुत कुछ याद आता है बिलखते बखत

    इतना कुछ कि किसी कविता में दर्ज कर पाने की कोशिश

    अनेक स्मृतियों की हत्या का अपराध होगा

    जैसा कि हर बार रो लेने के बाद

    या कोई भारी दुख झेलने के बाद

    हम तनिक अधिक कठोर मनुष्य हो जाते हैं

    ऐसे ही वे लड़कियाँ महीनों बाद

    देह से मृत्यु का भय झाड़कर निकलती हैं घर से बाहर

    एक बार फिर, पहली बार जैसी

    हर दृश्य को देखती हैं नवजात आँखों से

    वे लड़कियाँ फिर से हँसना सीखती हैं

    और उनके कमरे का अँधेरा आत्महत्या कर लेता है।

    तरोताज़ा हो जाती है दीवारों की महक

    जैसा कि मुनासिब भी है

    वे लड़कियाँ एक बार फिर

    शुरू से करती हैं शुरुआत

    (यह एक आंदोलनकारी घटना होती है)

    ऐसी लड़कियाँ

    अपनी आत्मा के पवित्र कोने में रख देती हैं

    पहले प्रेमी के साथ का मौसम

    और संभावनाओं से भरी इस विशाल दुनिया में से

    फिर से चुनती हैं एक प्रेमी

    इस बार भी वही पवित्र भावनाएँ जन्मती हैं

    उनके दिल के गर्भ से

    वही बारिश से धुले आकाश-सा होता है मन

    जिन लड़कियों के प्रेमी मर जाते हैं

    वे लड़कियाँ

    दुबारा प्रेम करके भी बदचलन नहीं होतीं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विहाग वैभव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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