जाते-जाते ही मिलेंगे लोग उधर के
jate jate hi milenge log udhar ke
विनोद कुमार शुक्ल
Vinod Kumar Shukla
जाते-जाते ही मिलेंगे लोग उधर के
jate jate hi milenge log udhar ke
Vinod Kumar Shukla
विनोद कुमार शुक्ल
और अधिकविनोद कुमार शुक्ल
जाते-जाते ही मिलेंगे लोग उधर के
जाते-जाते जाया जा सकेगा उस पार
जाकर ही वहाँ पहुँचा जा सकेगा
जो बहुत दूर संभव है
पहुँचकर संभव होगा
जाते-जाते छूटता रहेगा पीछे
जाते-जाते बचा रहेगा आगे
जाते-जाते कुछ भी नहीं बचेगा जब
तब सब कुछ पीछे बचा रहेगा
और कुछ भी नहीं में
सब कुछ होना बचा रहेगा।
- पुस्तक : कवि ने कहा (पृष्ठ 11)
- रचनाकार : विनोद कुमार शुक्ल
- प्रकाशन : किताबघर प्रकाशन
- संस्करण : 2012
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