जाने वाला भारत : आने वाला भारत
janewala bharat ha anewala bharat
सुब्रह्मण्य भारती
Subramanya Bharati
जाने वाला भारत : आने वाला भारत
janewala bharat ha anewala bharat
Subramanya Bharati
सुब्रह्मण्य भारती
और अधिकसुब्रह्मण्य भारती
[ जाने वाले भारत के प्रति कटुवचन ]
निर्बल कंधों वाले भारत! तू जा जा जा।
दुर्बल मानस वाले भारत! तू जा जा जा।
हे कांतिरहित मुख वाले भारत! तू जा जा जा।
तू हे निस्तेज नेत्र वाले! तू जा जा जा।
कुंठित तेरा है कंठ हिंद! तू जा जा जा।
है क्षीण तुम्हारी कांति हिंद! तू जा जा जा।
तुम शंकाकुल अंतर वाले हो, जा जा जा।
तुम सदा दासता के इच्छुक हो, जा जा जा॥1॥
मान और अपमान-शून्य कुत्ते के जैसा—
आज तुम्हारा जीवन भारत! जा जा जा।
भय के कारण कर न सको कृतज्ञता ज्ञापित—
चाटुकारिता करने वाले, जा जा जा।
बीते जीवन के असत्य का सत्य मानकर
उसकी मुक्त प्रशंसा करते जा जा जा।
जगत्प्रसिद्ध सत्य को असत्य बताकर
दुनियाँ के सम्मुख ला धरते, जा जा जा॥2॥
दुनियाँ की अनगिन भाषाओं को सीखोगे
किंतु न सीखोगे निज भाषा, जा जा जा।
पढ़ डालोगे ग्रंथ सैकड़ों, किंतु एक भी—
ग्रंथ सत्यभाषी न पढ़ोगे, जा जा जा।
पाँच सैकड़े मत-मतांतरों की चर्चा में।
पढ़ डालोगे ग्रंथ सैकड़ों, किंतु एक भी—
सदा व्यस्त रखोगे निज को, जा जा जा।
तू असंख्य दुर्गंध और कीचड़ ला लाकर
अपने घर में भर डालोगे, जा जा जा॥3॥
- पुस्तक : राष्ट्रीय कविताएँ एवं पांचाली शपथम् (पृष्ठ 62)
- रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक एन. सुंदरम् और विश्वनाथ सिंह 'विश्वासी'
- प्रकाशन : ग्रंथ सदन प्रकाशन
- संस्करण : 2007
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