आप अगर जाएँ आगरा तो
मत मिलिएगा ज़मीर ख़ान से
ज़मीर ख़ान उसी ख़ानदान से हैं
जिसने दफ़नाया था मुमताज़ को
ज़मीर ख़ान ऐसे गाइड हैं
जिन पर इतिहास तोड़ने-मोड़ने के आरोप में
जारी हो सकता है फ़तवा
साहब आप घूमने जाते हैं आगरा
अतुल्य भारत की शान है आगरा
आगरा का मतलब विदेशी मुद्रा
आगरा का मतलब मुहब्बत है
और वहाँ कोई ज़मीर ख़ान बताने लगे कि
मुमताज़ और शाहजहाँ के असली मक़बरे
दबे हैं दो तल नीचे
जिस तल का ताला नहीं खुलता कभी
मुमताज़ को दफ़नाते ही उभरी थी
वहाँ ऐसी बदबू कि
ताज क्या पूरी मुग़ल सल्तनत का घुट जाता दम
ज़मीर ख़ान का कहना है
ये बदबू शाहजहाँ की बहनों और
मुग़ल शहज़ादियों की आहों से मिलकर बनी थी
जिसे मिटा न सका ईरान का इत्र भी
ये शहज़ादियाँ आगरा क़िले के झरोखे से
मुहब्बत की निशानी ताज को ताकती हैं ईर्ष्या से
कनीज़ों के साथ खेलतीं
चौपड़, चौसर, छुपा-छुपाई
महल की दीवार के आलों और ताखों में
भरे रहते हीरे, जवाहरात, मोती, बेशक़ीमती रत्न
जिन्हें वार देतीं कनीज़ों पर
शहज़ादियाँ जब ख़ुश होतीं
शहज़ादियाँ खातीं सोने के बर्तन में
चाँदी के गिलास में पीतीं पानी
शहज़ादियाँ लगवातीं उबटन गुलाब की पँखुरियों का
शहज़ादियों के केश गमकते चंदन के लेप से
शहज़ादियाँ कर सकती थीं सब कुछ
सिवाय मुहब्बत के
शहज़ादियाँ
ग़ुलामों को अता कर सकती थीं जागीरें
नाराज़ होने पर
हाथी के पाँव तले उन्हें कुचलवा सकती थीं पर
शहज़ादियाँ नहीं खा सकती थीं बाहर की हवा
वे करती थीं रश्क उस नन्ही चिड़िया से
जो क़िले के परकोटे से फुर्र उड़
तैरने लगती ऊँचे आकाश में
पता नहीं क्यों
मुझे लगता है
मुग़ल काल में रियाया का हाल चाहे जो हो
मुग़लों की बेटियाँ बेहद उदास थीं
उनके आँसुओं की शिनाख़्त
आगरा क़िले में
आप भी कर सकते हैं।
- रचनाकार : प्रीति चौधरी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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