उस्ताद गए फिर वो असासा चला गया
ustaad ga.e phir vo asaasa chala gaya
संजय चतुर्वेदी
Sanjay Chaturvedi
उस्ताद गए फिर वो असासा चला गया
ustaad ga.e phir vo asaasa chala gaya
Sanjay Chaturvedi
संजय चतुर्वेदी
और अधिकसंजय चतुर्वेदी
दौर-ए-जहाँ में कौन से स्कूल गए हैं
उर्दू है जिसका नाम हमीं भूल गए हैं
ये और बात सन्सकिरित हाथ न आई
जिस राह से इस क़ौम के मक़बूल गए हैं
हिंदी गई बोली गई विरसा चला गया
बाताँ में गोटमार का क़िस्सा चला गया
ख़ारिज हुआ मज़ाक़ ज़ुबाँ ही चली गई
उस्ताद गए फिर वो असासा चला गया
तुर्रा है यहाँ ये कि नया दौर आ गया
ऊपर से ये ख़िताब बड़ा दौर आ गया
कोई तो उस मक़ाम पे आया नहीं हनोज़
कोई तो लब-ए-बाम पे आया नहीं हनोज़
कैसा ये बड़ा दौर गुटुरगूँ का चल पड़ा
हमने कबूतरों को महाकवि बना दिया
चालाक लोमड़ी को दिया मर्तबा अज़ीम
हर्राफ़ जोकरों को महाकवि बना दिया
मुश्ताक़-ए-सुख़न हैं अभी हिंदोस्ताँ के लोग
ऐवाँ में बेशऊर-ओ-बेउसूल गए हैं
दुश्मन हुए मज़ाक़-ए-अदब के मुसन्निफ़ीन
दरिया में अब गिरोह के मस्तूल गए हैं
- रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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