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विषम

visham

मनीष कुमार यादव

और अधिकमनीष कुमार यादव

    हर शहर में कुछ सड़कें उदास हैं

    हर सड़क एक हादसा ढो रही है

    मौलिक होने की कोशिशों में

    दोहराव होते जा रहे हैं शहर

    वे अपने व्याकरण में

    लगभग

    एक से हो गए हैं

    शहरों का धीरज

    अब जैसे चुक रहा है

    और मैं अपनी व्यग्रता में

    ख़र्च हो रहा हूँ

    फ़िलवक़्त मेरी तरह

    मेरे शहर की भी अपनी

    त्रासदियाँ हैं

    इस शहर में मिलते हों जैसे

    आदिम चेहरे और

    पुरातन अनुवांशिकता

    इस शहर में तुमसे मिल पाना हो जैसे

    एक अनागरिक समय में

    अनागरिक इच्छा

    पर इस नवजात इच्छा में

    प्रौढ़ बीमारियों से लड़ता हुआ

    किसी परिजन-सा थक गया हूँ

    हालाँकि

    उपकरणों और लोगों पर

    बहुत कम विश्वास करता

    आया हूँ

    उपासकों और इष्टों से

    ईर्ष्या रखता

    आया हूँ

    भाषाओं और शहरों

    से निष्कासित हूँ

    वर्जनाओं और उपमाओं

    में निर्वासित हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनीष कुमार यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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