Font by Mehr Nastaliq Web

हौजबला हिसाबक भाँज

haujabla hisabak bhaanj

विवेकानन्द ठाकुर

अन्य

अन्य

विवेकानन्द ठाकुर

हौजबला हिसाबक भाँज

विवेकानन्द ठाकुर

और अधिकविवेकानन्द ठाकुर

    हौजबला हिसाबक भाँज

    ताहि दिन सेहो नहि लागल

    ओइ दुरमतिया नीतिक आगाँ

    अपन सोझमतिया बुद्धि

    धौस लऽ लेने छल

    एहिना मोन अछि…

    एकटा नलसँ

    हौजमे पानि भरब

    दोसरसँ खाली करब

    भरब खाली करब

    कोन अपराधे

    हौजक पानि

    होइत बेपानि

    से नहि जानि

    यैह छल

    हमर शंका

    जकर समाधान नहि भेल

    एहि नीतिक नियन्ता

    कलकतिया चक्रवर्ती

    हिसाबक शिक्षक

    हुनक अनुवर्ती

    जिनका हाथमे

    करबीरक छौंकी

    छौंकिआयब

    जिनक एकाधिकार

    हमर शंकाक समाधान नहि भेल…

    आइ

    पचास-पचपन बर्ख बाद

    वैह हौजबला हिसाब

    अपन भयंकर रूपमे

    अछि समक्षमे ठाढ़

    विविध उद्योगमे लागल

    देशक पूजी

    ताहिपर लगैये बोली

    ‘खुला बजार’मे

    होइये ठाढ़े-ठाढ़ नीलाम

    कोन अपराधे

    देशक आनि

    होइये बेपानि

    से नहि जानि

    शंकाक समाधान

    ने ताहि दिन भेल

    ने आइ होइये

    एहि नीतिक नियन्ता

    ग्लोबल चक्रवर्ती

    देशक शासक

    हुनक अनुवर्ती

    जिनका हाथमे

    शासनक लाठी

    लठिआयब

    जिनक एकाधिकार

    अइ दुरमतिया नीतिक आगाँ

    अपन सोझमतिया बुद्धि

    फेर थौस लऽ लेलक

    हौजबला हिसाबक भाँज

    ने ताहि दिन लागल

    ने आइ लगैये

    ने आइ लगैये

    स्रोत :
    • पुस्तक : चानन घन गछिया (पृष्ठ 143)
    • रचनाकार : विवेकानन्द ठाकुर
    • प्रकाशन : विवेकानन्द ठाकुर
    • संस्करण : 2011

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY