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लगभग देवताओं की त्रासदी

lagbhag dewtaon ki trasadi

अनुराग अनंत

अनुराग अनंत

लगभग देवताओं की त्रासदी

अनुराग अनंत

और अधिकअनुराग अनंत

    दुःखों के देवता के पाँव में लगा तीर

    और वह जीवन के बीचोंबीच बैठ गया

    प्रेम के देवता के हृदय पर बैठा गिद्ध

    रह-रहकर कुतरता रहा प्रिय का नाम

    मैं किसी का प्रिय होने से डरता हूँ

    यही गिद्ध डराता है मुझे

    प्रेम की मार इस दुनिया में सबसे ख़तरनाक मार है

    प्रेम का स्पर्श सबसे बड़ी औषध

    दुःखों का देवता सब जगह विद्यमान है

    हर जगह संबंध खोजने वाले खोजी श्वानों

    यदि बता सकते हो तो बताओ

    प्रेम के देवता और दुःख के देवता में संबंध

    प्रेम करने वाले लगभग देवता हो जाते हैं

    लगभग देवताओं को ही झेलनी पड़ती है

    देवताओं के हिस्से की पीड़ा

    उनका संत्रास

    उनका एकांत

    लगभग देवताओं का भविष्य देवताओं का भविष्य नहीं होता

    वे अपने अतीत से आहत वर्तमान में झेलते रहते हैं

    देवत्व की त्रासदी!

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुराग अनंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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