यहाँ कई आत्माएँ निवास करती हैं
यह उनके इकट्ठा होने का एक ग़ैर-पूँजीवादी तरीक़ा है
जो ख़ून के नमक ने पैदा किया है
यहाँ सेंधमारी और टूटन के भी अलग ढंग हैं
वे बाहर से ज़्यादा भीतर से पैदा होती हैं
बहुत पहले घर नहीं थे तब लोग विश्वास का घर बनाते थे
पेड़ों के भी हुआ करते थे घर
फिर एक कल्पना ऐसी आई कि घर नदी किनारे बना होगा
उसके पीछे पहाड़ होंगे कुछ चिड़ियाँ बोलेंगी
एक नाव नदी में दूर जाती दिखेगी
अब हमने इस घर की तस्वीर बना ली है
जो अपनी जड़ता में दीवारों पर सोती है
बच्चे अक्सर चित्रांकन की शुरुआत में इसमें रंग भरते हैं
जो धीरे-धीरे भूरे या काले रंग में बदलता जाता है
पहाड़ों पर उतर आया है गाढ़ा अंधकार
चिड़ियों की चीख़ युद्ध और समझौतों के बीच
कभी-कभी सुनाई देती है
इसी बीच कई विस्फोट हुए और नदी
हमारे भीतर प्रवेश करती सूखती चली गई
नाव अब भी है जिसे सख़्त ज़मीन पर चलाना
आसान नहीं रह गया है
पृथ्वी पर रहने आए थे हम और यह हमारा घर थी
इसकी छत आकाश थी
सूरज और चाँद की बत्तियाँ अब भी याद दिलाती हैं
किसी पुराने प्रेम की
अब समझौतों का घर बनता है जहाँ संस्कार के तहत
हम प्रेम करते हैं या फिर नहीं करते
- पुस्तक : एक जनम मैं सब (पृष्ठ 14)
- रचनाकार : अनीता वर्मा
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
- संस्करण : 2003
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