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घड़ा

ghaDa

केशव तिवारी

और अधिककेशव तिवारी

    अभी कुछ देर पहले ही

    वह कचरे और

    कंकड़ से सना मिट्टी का लोंदा था

    पहली बार मिला है इसे

    गति और कौशल का संयोग

    उखड़ती साँसों और

    बीड़ी के कसैले धुएँ के बीच

    आकार पा रहा है ये

    धरती के ही रंग का यह

    जब आँवा से पक कर निकलेगा

    तब भोर के सूरज से कहेगा

    देखो मेरा रंग तुम्हारे रंग से

    कम चटख नहीं है

    मुझे बनाने वाला तुम्हें बनाने वाले से

    ज़्यादा हुनरमंद है

    जब पहुँचेगा ये बाज़ार तो

    टनक-टनक कर देगा

    अपने खरे होने का सबूत

    ये उनकी तरफ़ आँख भी नहीं करेगा

    जिन्हें नहीं है इसकी ज़रूरत

    और जिन्हें होगी इसकी ज़रूरत

    उनके लिए गला डुबाकर भी

    निकाल लाएगा पानी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : केशव तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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