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गलियों में चाक़ू लहराते लोग

galiyon mein chaku lahrate log

कमल जीत चौधरी

कमल जीत चौधरी

गलियों में चाक़ू लहराते लोग

कमल जीत चौधरी

और अधिककमल जीत चौधरी

    मैंने कभी हँसकर

    कभी रोते हुए कहा—

    तुम बहुत बुरी हो

    बहुत बुरी हो तुम

    बहुत ही बुरी

    एकदम बुरी

    मैं नफ़रत करता हूँ तुमसे...

    उसने कभी हँसकर

    कभी रोते हुए कहा—

    इतना प्यार मत करो

    मत करो इस तरह प्यार

    कि तुम्हारी जान को ख़तरा पैदा हो जाए

    कि गलियों में चाक़ू लहराते लोग

    शब्दों के अर्थ नहीं,

    सिर्फ़ इतिहास बदलते हुए देखना चाहते हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कमल जीत चौधरी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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