ईसू! हे परमात्मा! मुझे और बहुत चाहिए
अब यहाँ दिन शुरू हुआ है
हे ईसू! हे पालनहार!
मुझे चाहिए चमत्कार
अभी यहाँ सुबह-सुबह
बाँच ली है मैंने ज़िंदगी की किताब
तो मरने दें मुझे करने दें प्रस्थान
आप विद्वतजन कह सकते हैं मुझे सख़्ती से
'धैर्य रखो अभी जाने का वक़्त नहीं है तुम्हारा'
ख़ुद दी है तुमने हद से ज़्यादा पीड़ा
हर तरह प्यासी हूँ अब मैं
मुझे सब कुछ चाहिए जिप्सी की तरह
भागूँगी लूटने के लिए, गीत गाते हुए
ऑर्गन के पास, अफ़सोस मनाना चाहती हूँ सबका
दौड़ना चाहती हूँ युद्ध करते हुए अमेज़न में
अँधेरे दुर्ग में दिव्य तारों की छाँव तले
परछाइयों में राह बनाते बच्चे
गुज़रा कल बन जाए किंवदंती
और हर दिन है पागलपन का
प्रिय हैं मुझे सूली, रेशम और आवरण
आत्मा में पल भर झाँका तो लगा
तुमने मुझे बचपन दिया कल्पनातीत
मरने दें अब मुझे सत्रहवें साल में।
- पुस्तक : विश्व की श्रेष्ठ कविताएँ (पृष्ठ 55)
- रचनाकार : मारीना त्स्वेतायेवा
- प्रकाशन : इंडिया टेलिंग
- संस्करण : 2020
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