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अग्निकांड के समय नताशा रोस्तोव को मिला हाथ से लिखा हुआ एक पन्ना

agnikanD ke samay natasha rostov ko mila haath se likha hua ek panna

पोलिना बर्स्कोवा

अन्य

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पोलिना बर्स्कोवा

अग्निकांड के समय नताशा रोस्तोव को मिला हाथ से लिखा हुआ एक पन्ना

पोलिना बर्स्कोवा

और अधिकपोलिना बर्स्कोवा

    तुम बिन मैं पृथ्वी पर जीने की कोशिश करूँगी

    तुम बिन मैं पृथ्वी पर जीने की कोशिश करूँगी

    मैं कोई भी वस्तु बन जाऊँगी

    इसकी मुझे परवाह नहीं—

    तेज़ी से चलने वाली रेलगाड़ी या धुआँ

    या बन जाऊँगी सामने की सीट पर बैठे हँसते हुए सुंदर समलैंगिक पुरुष

    एक मानव देह पूरी तरह असहाय है

    पृथ्वी पर

    आग में भस्म होने वाला लकड़ी का एक टुकड़ा

    समुद्र की लहरें इस पर चोट कर रही हैं

    लेनिन इसे अपने आधिकारिक कंधे पर रखता है

    और इसलिए इंसान की आत्मा कष्ट सहने की कोशिश में

    हवा और लकड़ी और एक महान तानाशाह के कंधे पर जीवित रहती है

    लेकिन मैं पानी और आग नहीं बनना चाहती

    मैं पलकें बन जाऊँगी

    तुम्हारे गर्दन के रोयों को साफ़ करने वाला स्पंज

    या एक क्रिया, विशेषण बन जाऊँगी या वैसा ही कोई शब्द

    आपके गाल थोड़े से चमके

    क्या हुआ? कुछ नहीं!

    कोई आया? कोई नहीं!

    वहाँ क्या था कि आप फुसफुसा नहीं सके

    आग के बिना धुआँ, वे फुसफुसाए

    मैं इस खोए हुए मास्को शहर के ऊपर

    झरती मुट्ठी भर राख हो जाऊँगी

    मैं किसी भी व्यक्ति को दिलासा दूँगी

    सेना की यात्रा में इस्तेमाल घोड़ा-गाड़ी के नीचे

    मैं किसी भी पुरुष के साथ सो जाऊँगी

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा पत्रिका
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : पोलिना बर्स्कोवा

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