निराशोन्मत्त प्रेमी की ग़ज़ल
nirashonmatt premi ki ghazal
फेदेरीको गार्सिया लोर्का
Federico García Lorca

निराशोन्मत्त प्रेमी की ग़ज़ल
nirashonmatt premi ki ghazal
Federico García Lorca
फेदेरीको गार्सिया लोर्का
और अधिकफेदेरीको गार्सिया लोर्का
रात आना नहीं चाहती
इसीलिए तुम आ नहीं सकती
और मैं जा नहीं सकता।
लेकिन मैं जाऊँगा
भले ही कोई वृश्चिक सूर्य
मेरी कनपटी कुतर डाले;
लेकिन तुम आओगी
नमक की बारिश से जली
अपनी जीभ लिए
दिन आना नहीं चाहता
इसीलिए तुम आ नहीं सकती
और मैं जा नहीं सकता
लेकिन मैं जाऊँगा
अपना पपड़ाया गुलाबी
रंग मेंढकों के हवाले करते हुए
लेकिन तुम आओगी
अँधेरे की पंकिल नालियों से होकर
न रात आना चाहती है, न ही दिन
इसीलिए मैं तुम्हारे लिए मर सकता हूँ
और तुम मेरे लिए।
- पुस्तक : रोशनी की खिड़कियाँ (पृष्ठ 167)
- रचनाकार : फेदेरीको गार्सिया लोर्का
- प्रकाशन : मेधा बुक्स
- संस्करण : 2003
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