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देश के बारे में शुभ-शुभ सोचते हुए

desh ke bare mein shubh shubh sochte hue

विहाग वैभव

विहाग वैभव

देश के बारे में शुभ-शुभ सोचते हुए

विहाग वैभव

और अधिकविहाग वैभव

    अभी हमें देखना है कि

    पहाड़ों के शीर्ष से

    ख़ून के बड़े-बड़े फ़व्वारे छूटेंगे

    बड़े व्यापारी और राजा

    तर होकर नहाएँगे उसमें

    पहाड़ों के कुंड में जमा ख़ून

    हमारा, आपका, इसका और उसका होगा

    अभी हम देखेंगे कि

    दूसरे बस्ती की

    गर्भवती महिलाओं के पेट से

    तलवारों के नाख़ूनों से खींचकर बाहर

    पँचमासी बच्चे का सिर काट दिया जाएगा

    और इस तरह से धर्म की साख बचा ली जाएगी

    अभी हम देखेंगे कि

    बहुत काली अँधेरी रात के बाद

    एक ख़ूँख़ार भोर का पूरब

    विधर्मियों के रक्त से गाढ़ा लाल होगा

    धीरे-धीरे और चमकदार होती हुई तलवारें

    खनकते स्वरों में गाएँगी प्रार्थना—

    सर्वे भवन्तु सुखिनः

    वसुधैव कुटुम्बकम्

    अभी सौहार्द और अधिकारों की बातें करने वाली जीभ को

    एक काँटे में फँसाकर लटकाया जाएगा

    जब तक कि पूरी जीभ

    आहार नली से फड़फड़ाते हुए बाहर नहीं जाती

    (इस पर सत्तापक्ष के लोग ताली बनाएँगे)

    अभी राज्य का प्रचंड हत्यारा

    ससम्मान न्यायाधीश नियुक्त होगा

    अभी राज्य के कुख्यात चोरों के हाथों

    सौंप दिया जाएगा

    देश का वित्त मंत्रालय

    अभी देश की जनता

    देवताओं से रक्षा के लिए

    असुरों के पाँव पर गिरकर गिड़गिड़ाएगी

    विधर्मियों का गोश्त प्रसाद में बँटेगा

    भेड़िए अपने नाख़ून गिरवी रखकर नियामकों के पास

    चले जाएँगे अनंत गुफा की ओर सिर झुकाए

    असंख्य हत्याकांडों का पुण्य घोषित होना बचा हुआ है अभी

    अभी इस देश ने

    अपने भाग्य और इतिहास के

    सबसे बुरे दिन नहीं देखे हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विहाग वैभव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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