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मैं लिखूँगा

main likhunga

अनुवाद : बेबी शॉ

अन्हेल गुइंदा

अन्य

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अन्हेल गुइंदा

मैं लिखूँगा

अन्हेल गुइंदा

और अधिकअन्हेल गुइंदा

    अगर वे मेरे शब्द छीन लें,

    मैं ख़ामोशी से लिखूँगा।

    अगर वे मेरी रौशनी छीन लें,

    मैं अँधेरे की सघनता के साथ लिखूँगा।

    अगर मैं अपनी याददाश्त खो दूँ,

    मैं विस्मृति का एक और रूप ईजाद करूँगा।

    अगर वे सूर्य, बादलों को पकड़ लें,

    ग्रहों को छीन लें

    मैं अपनी कक्षा में घूमूँगा।

    अगर वे संगीत बंद कर दें

    मैं बिना आवाज़ के जप करूँगा।

    अगर वे काग़ज़ जला दें,

    स्याही को उड़ा दें,

    कंप्यूटर स्क्रीन को नष्ट कर दें,

    और सभी दीवारें तोड़ दें,

    मैं अपनी साँसों पर लिखूँगा।

    अगर वे आग बुझा दें

    जो मुझे रौशन करती है,

    मैं धुएँ पर लिखूँगा।

    और जब धुआँ ख़त्म हो जाए

    मैं नई नज़र पर लिखूँगा

    आँखों के बिना।

    अगर वे मेरी ज़िंदगी ले लें,

    मैं अपनी मृत्यु से लिखूँगा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा पत्रिका
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : अन्हेल गुइंदा

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