पिता की मृत्यु के लिए कामना-पत्र
pita ki mrityu ke liye kamna patr
अप्रिय पिता,
पिता कहलाने वाले सभी साँचों से तुम
अविश्वसनीय ढंग से
विचलित करने वाले लार की तरह थूक दिए गए
इतनी घृणा है तुमसे
कि तुम्हारे बारे में सोचने की सोच भी
हृदय को मितली से भर देती है
किसी व्यक्ति से
इतनी घृणा के लिए
कितनी ऊर्जा लगती है!
मेरे चेहरे के उड़ते रंग से तुम समझ सकोगे
तुमने कितने कष्ट दिए
और कितनी कृपाएँ की होंगी मुझ पर
कि मैं तुम्हारी मृत्यु की बाट जोहते बैठी हूँ
तुम्हारे पैरों के नाख़ून जैसे हैं मेरे नाख़ून
जो तुम्हारे लगाए हर इल्ज़ाम को झुठलाते हैं
जी करता है हर नाख़ून उखाड़ फेंकूँ
सात बरस की उमर में जब पहली बार
तुम्हें ज़हर देने की योजना बनाई थी
तब अचानक मैं इक्कीस बरस की हो गई
इक्कीस में इकतीस बरस की चिंताएँ
हमारे सड़ते संबंधों की उम्र थी
तुम्हारे मरने पर जो आँसू बहते
वो तुमने मेरा सिर पटक-पटककर
आँगन में ही झाड़ दिए
इस जन्म में किए कर्मों का फल
इसी जनम में मिलता है
मुझे किन कर्मों का फल मिला?
तुम्हें कब मिलेगा ये फल
सब झूठ है
मेरा ईश्वर
मेरे कर्मों का हिसाब करने से पहले मर गया
तेरे कर्मों की परिधि
नापे बिना
बूढ़ा हो गया
तेरी आत्मा को शांति न मिले!
- रचनाकार : प्राची
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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