कूफ़ा
kufa
रोचक तथ्य
पैगंबर मोहम्मद के परिवार को बंदी बनाकर पहले कूफ़ा और वहाँ से सीरिया ले जाया गया था।
हमने यह सोच कर इसका नामकरण नहीं किया था
कि यह एक शहर बन जाएगी
हम इस तक पहुँचे थे प्यासे
भूख से हलकान
जलती रेत पर घिसटते हुए
—सूरज की रोशनी से चौंधियाए हुए।
हमने दुनिया को काट कर अलग किया मक्का से लेकर
नामन के महल तक
हमने दुनिया को काट कर अलग किया तलवार से
जब तक कि हमारे हाथों से उभरी हड्डियाँ और सफ़ेद पड़ गईं।
जब हम पानी तक पहुँचे, हमने कहा
चलो आराम किया जाए यहाँ
हमने किनारों को देर तक देखा
जहाँ पानी आता है, बहता है और और आता है।
हमने अपनी तलवारें उसमें डुबोईं
काँपते हुए, हमने अपने हाथ ढाँपे
और प्रार्थना की।
हमने यह सोच कर इसका नामकरण नहीं किया था
कि यह एक शहर बन जाएगी।
हमने सिवाय मस्जिद,
दीवार
और अली के झोपड़े के
और कुछ नहीं बनाया
मगर
पहली शताब्दी अब पहली नहीं रह गई है।
अब हम इसे छोड़कर जा रहे हैं
यह
टँगी
हुई
फाँसी
पर
तोपों की बंदूक़ों की नालों
से
- पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 395)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : सादी यूसुफ़
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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