चिड़ियाघर में ज़ेब्रा की मौत पर
रोने के लिए कोई और नहीं था
सिवाय उसके एक और साथी ज़ेब्रा के
जिसे रखा गया था उसके साथ
केवल प्रजनन के उद्देश्य से
वह डर कर दुबका हुआ था एक कोने में
भयानक अकेलेपन और अजनबीपन में
उसकी आँखें देख रही थीं फ़्लैशबैक में वह दृश्य
जब वह झुंड के झुंड अपने दल के साथ
दिन भर चौकड़ी भरा करता था
जहाँ चरने के लिए खुला मैदान था
प्यास मिटाने के लिए उन्मुक्त नदी थी
और एक जंगल था आत्मिक विश्रांति के लिए
अब कुछ भी नहीं रह गया
उनके हिस्से के लिए
उनका हिस्सा भी नहीं रहा
वह जो कभी उनका पूरा होता था
अगर यह सब होता तो शायद
यह न होता जो आज हुआ
अगर होता भी समय के चक्र में
तो ऐसा न होता जो आज हुआ
आज होता सामूहिक शोक
सारा गाँव आख़िरी बार फिर उसके साथ होता
उसके सम्मान में होता एक आख़िरी गीत
कोई उसे उसकी ज़िद से आख़िरी बार पहचानता
कोई उसकी नृत्य शैली से
कोई कहता करम नाचने में उसका कोई जोड़ नहीं था
तो कोई उसे उसके पुरखों के इतिहास से पहचानता
यहाँ जुटी भीड़ उसे नहीं पहचानती है
और न ही वह उसके साथी के लिए
शोक गीत में शामिल होगी
यह भीड़ केवल तब तक बेचैन है
जब तक कि वह उसकी तस्वीर न ले ले
मेरा दुःख ज़ेब्रा की मौत से है
और डर चिड़ियाघर से
चिड़ियाघर की ज़मीन फ़ैल रही है और दीवार ऊँची
पिंजरों की संख्या बढ़ाई जा रही है
और वहाँ जंगल में
आदिम जनसंख्या उसके लिए तैयार की जा रही है
म्यूज़ियम में उसके ख़ाल, हड्डियाँ
वाद्य यंत्र, भाषा और उसके गीत सुरक्षित किए जा रहे हैं
चिड़ियाघर में ज़ेब्रा की मौत
केवल ज़ेब्रा की मौत नहीं
हमारी संभावित आगामी मौत है।
- रचनाकार : अनुज लुगुन
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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