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पिया-बोल

piya bol

सावजराज

सावजराज

पिया-बोल

सावजराज

और अधिकसावजराज

    सावजराज सिंह, तुम अपने इस राजपूती नाम

    और सामंती अकड़ के साथ मत आया करो मेरे पास

    अकड़ खंभों को छाजती है प्रेमियों को नहीं

    जब मेरे पास आओ

    तब सिंधी पावों की तरह आया करो

    मेरी फूँक पर तुम्हारे सुर फूटे

    और मेरे पोरों पर तुम्हारी धुन बजे

    जब मेरे पास आओ

    तब द्वार के बाहर अपने पाधर और घमंड उतारकर आओ

    मेरे पास आधी रात को अँधेरे में छिपकर नहीं

    दिन के उजाले में इतराते हुए आया करो

    ख़रीदार की तरह नहीं तलबगार की तरह आओ

    जब मेरे पास आओ

    सारे आलंबन, आडंबर, आवरण से मुक्त होकर आओ

    उत्कंठा-उत्तेजना-ऊष्मा से युक्त होकर आओ

    आओ और मेरे बालों से खेलो

    अपनी उँगलियों से उन्हें सुलझाओ

    और मुझे उलझाए रखो अधर-द्वंद्व में

    आओ और थामो मेरी बाँह

    पर इस तरह नहीं जैसे तुम खड्ग थामते हो

    ज़रा बाँध दो मेरी काँचली

    पर वैसे नहीं जैसे तुम घोड़े पर काठी बाँधते हो

    प्रणय में मत करो अपने बल का प्रदर्शन

    तुम कुश्ती लड़ने नहीं आए हो

    बन्ना, जब मेरे पास आओ

    तब बल से नहीं कळ से काम लो

    जब मेरे पास आओ

    तब राजकुमार की तरह मत आओ

    मैं तुम्हारे बाप की रियासत नहीं हूँ

    जहाँ तुम अय्याशी करते रहते हो

    मेरा तन क़ब्ज़ाने मत आओ

    जैसे तुम्हारे पूर्वजों ने मेरे पूर्वजों के खेत क़ब्ज़ाए

    जब मेरे पास आओ

    तब मेरे बदन को इस तरह घेरो

    जैसे धूप घेरती है जगह को

    मुझे इस तरह छुओ

    जैसे मेघ स्पर्श करते हैं व्याकुल धरती का

    मुझ पर ऐसे सवार होओ

    जैसे हवा पर सवार होती है गंध

    जब मेरे पास आओ तुम सावजराज सिंह

    कलह करने नहीं

    प्रेम करने आओ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सावजराज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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