बहरे लोग
bahre log
बहरों की तादाद बढ़ती जा रही है
पर बहरे कम नज़र आ रहे हैं
बहरे लोकप्रिय हो रहे हैं
पर बहरों को पहचानना मुश्किल है
बहरे लोगों की अपनी बोली है
बहरे लोगों के अपने स्वर-व्यंजन
बहरे लोगों की अपनी शैली
बहरे लोगों का अपना जीवन
बहरे लोगों के संवाद में भरपूर नाटकीयता
बहरे लोगों को चुंबक की तरह खींच रहे
बहरे लोगों की है अजीबोग़रीब आवाज़
बहरे लोगों तक हर फुसफुसाहट पहुँच रही
बहरे लोगों के हाथों में ताक़त
बहरे लोगों के मुँह में चमक
बहरे लोगों के पास सारी सुख-सुविधाएँ
बहरे लोगों के पास सिक्कों की खनक
बहरे लोगों के गले में हार
बहरे पार कर लें सभी बाधाएँ
बहरे लोगों के पास हर हथियार
बहरे लोगों के हैं अपने गीत
बहरे लोग संगीत के ग़ज़ब शौक़ीन
बहरे लोग मजमा लगाने में माहिर
बहरे लोग बातें बनाने में निपुण
हर प्रमुख पद पर है बहरों की ज़रूरत
हर उल्लेखनीय विभाग में बहरों की आवश्यकता
बहरे लोगों के अलग मुहल्ले
बहरे लोगों के आलीशान घर
बहरे लोग सरकार हैं
बहरे लोग हैं माई-बाप
बहरे लोगों को प्रार्थना सुनने की इच्छा नहीं
आरती उतरवाने में मिलता बहरों को परम आनंद
बहरे सामर्थ्यवान
बहरे महत्त्वपूर्ण
बहरे महान
बहरों से हैं लोग प्रभावित
बहरों से हैं लोग भयभीत
बहरे नियमित रूप से सम्मानित हो रहे
बहरों के हैं बड़े मीत
कुल मिलाकर यही कि
बहरे बहुत-बहुत ख़ुश
मज़े में बहुत-बहुत
हाँ जी हाँ,
उनकी स्थिति काफ़ी मज़बूत
- रचनाकार : हरि मृदुल
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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