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बाहर जब दरवाज़े पर आएगा

bahar jab darwaze par ayega

नवीन सागर

नवीन सागर

बाहर जब दरवाज़े पर आएगा

नवीन सागर

हर एक के साहस का समय है

अकेला एक कायर सबको मार सकता है

पुरखे जो देकर गए जीवन

वह छीना जाएगा

जल्दी ही पुरखों के नाम पर पुरखों की हत्या होगी

घरों में क़ातिल घुसेगा ज़िंदगी ठीक-ठाक करने

सोने और जागने खाने-पीने और रोने हँसने

सोने और जागने खाने-पीने और रोने-हँसने

बोलने बोलने का मरने-जीने का

फ़ैसला करने

घरों में क़ातिल घुसेगा

और उसके नाम के मान-सम्मान की झाँकी होगी राजनीति।

झूठ उसकी माला में गूँथेगा सचाई

भीड़ उसके क़दमों में गिरेगी पागल

वह क़ातिल पहले दिन से पहचाना जाएगा

पर आख़िरी दिन तक मारा नहीं जाएगा

वह रूप बदल सबमें समा जाएगा

वह भीतर पहले से होगा मौजूद

बाहर जब दरवाज़े पर आएगा।

स्रोत :
  • पुस्तक : नींद से लंबी रात (पृष्ठ 50)
  • रचनाकार : नवीन सागर
  • प्रकाशन : आधार प्रकाशन
  • संस्करण : 1996

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