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अपने लिए

apne liye

अनुवाद : नीता बैनर्जी

सनंत ताँती

अन्य

अन्य

सनंत ताँती

अपने लिए

सनंत ताँती

और अधिकसनंत ताँती

    करता हूँ कृतित्व सारा

    मैं अपने नाम

    जितने हैं द्वार

    जीवन-मरण के बीच

    खोले हैं ख़ुद मैंने

    प्रतिदिन

    फिर ख़ुद ही आबद्ध हुआ

    किसी वृत्त में,

    अस्थिर हो

    खोया मैंने ज्ञान-विवेक

    तोड़ी सीमाएँ सभ्यता की

    कृतित्व अपने नाम किया

    उसका भी

    बुझते-बुझते बुझाता रहा

    एक-एक कर शिखाएँ

    किसी अनचीन्हे गाम पर

    उतरकर

    शोक, अनादर से ख़ुद को

    मिटाकर

    साथ लिए सिर्फ़ आत्मा को मैं

    रहा घूमता

    करता हूँ कृतित्व इसका भी

    अपने नाम।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविताएँ 1989-90-91 (पृष्ठ 17)
    • संपादक : र.श. केलकर
    • रचनाकार : सनन्त ताँती
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 1993

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