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अप्रकाशित कविता

aprakashit kawita

असद ज़ैदी

असद ज़ैदी

अप्रकाशित कविता

असद ज़ैदी

और अधिकअसद ज़ैदी

    एक कविता जो पहले ही से ख़राब थी

    होती जा रही है अब और ख़राब

    कोई इंसानी कोशिश उसे सुधार नहीं सकती

    मेहनत से और बिगाड़ होता है पैदा

    वह संगीन से संगीनतर होती जाती

    एक स्थायी दुर्घटना है

    सारी रचनाओं को उसकी बग़ल से

    लंबा चक्कर काटकर गुज़रना पड़ता है

    मैं क्या करूँ उस शिथिल

    सीसे-सी भारी काया का

    जिसके आगे प्रकाशित कविताएँ महज़ तितलियाँ हैं और

    सारी समालोचना राख

    मनुष्यों में वह सिर्फ़ मुझे पहचानती है

    और मैं भी मनुष्य जब तक हूँ तब तक हूँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सरे-शाम (पृष्ठ 159)
    • रचनाकार : असद ज़ैदी
    • प्रकाशन : आधार प्रकाशन
    • संस्करण : 2014

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