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आँगन बुहारती स्त्री

angan buharti istri

अनुराग अनंत

अनुराग अनंत

आँगन बुहारती स्त्री

अनुराग अनंत

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    सिर्फ़ कविता ही वह जगह है

    जहाँ किसी सरकार का कोई बस नहीं चलता

    कोई राजा अपनी मूँछ पर ताव नहीं दे सकता

    जहाँ चाँद को भी रोटी बनाया जा सकता है

    और सूरज को चूल्हा

    वहाँ नदियों को उस माँ का आँसू भी कह सकते हो

    जिसका दस साल का बच्चा परदेस गया है कमाने

    कविता ही है वह जगह

    जहाँ ईश्वर को भी मनुष्यों को तरह होना होता है

    हँसना होता है, रोना होता है

    वहाँ सीता की उदास आँखों पर वारी जा सकती है

    राम की शक्तिपूजा

    अग्नि-परीक्षा के बीचोंबीच

    रच सकता है कवि

    सीता के लिए एक अलग देश

    एक अलग कहानी

    जहाँ कोई राम चाह कर भी नहीं ले सकता किसी सीता की परीक्षा

    जहाँ सिर्फ़ राम ही नहीं त्याग सकते

    सीता भी त्याग सकती है राम को

    कविता में बहेलियों के तीर

    रास्ता भटक जाते हैं

    और लगते हैं आखेट के देवता के हृदय में

    उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है

    और वह मछलियों को चारा देने लगता है

    कविता में एक दुनिया होती है

    जिसमें धड़कता है

    आँगन बुहारती एक स्त्री का हृदय।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुराग अनंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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