मंत्र-1
तना हुआ ही ताज़ा और पोषक होता है
इस आदिम समझ के साथ ही
हम करते हैं शिकार आज भी
(अपना हरा भूरे में छिपाएँ)
मंत्र-2
बड़े शिकार को लादना मुश्किल है
हर रोज़ अनेक छोटे शिकार भी भूख मिटा सकते हैं
कामचलाऊ शिकारियों से जंगल भरा पड़ा है
(छोटे न दिखें, हमेशा फूले-फूले रहें)
मंत्र-3
सिर्फ़ रंग बदल लेने से जान नहीं बचती
त्वचा पर काँटे
और लार में ज़हर ही अस्ल औज़ार है
(कैसे भी अपना ज़हर बचाकर रखें)
मंत्र-4
चाँद बलवान के लिए चमकता है
निर्बल को सहारा हमेशा अँधेरे ने दिया
शिकारी का साथ देने का कलंक साफ़ दिखता है पूर्णिमा में
(जहाँ अँधेरा हो वहीं पानी की तलाश करें)
मंत्र-5
सिर्फ़ अपने एहसास पर भरोसा रखें
टिटहरी पर नहीं
उसकी चेतावनी शिकारी तक भी पहुँचती है
(सन्नाटे को सुनें)
मंत्र-6
सीधे रास्ते सरल होते हैं, सरलता भीड़ भरी
भीड़ बचाती नहीं, कुचल देती है कभी-कभी ख़ुद को भी
भीड़ एक सरल शत्रु है
(हमेशा मुश्किल और टेढ़ा रास्ता चुनें)
मंत्र-7
झाड़ियों के पीछे अक्सर छुपा होता है शिकारी
दूर से दो तितलियों की तरह लगती हैं आँखें
मृत्यु मरने से नहीं, लोभ से होती है
(जाल सुंदर होता नहीं, बनाया जाता है)
- पुस्तक : सदानीरा-17 (पृष्ठ 81)
- संपादक : अविनाश मिश्र
- रचनाकार : अजंता देव
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