Font by Mehr Nastaliq Web

बाल महाभारत : सातवाँ, आठवाँ और नवाँ दिन

baal mahabharat satvan, athvan aur navan din

चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

बाल महाभारत : सातवाँ, आठवाँ और नवाँ दिन

चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

और अधिकचक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा सातवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    सातवें दिन का युद्ध केंद्रित था, बल्कि कई मोर्चों पर व्याप्त था। प्रत्येक मोर्चे पर विख्यात वीरों में घमासान युद्ध होता रहा। एक मोर्चे पर अर्जुन के विरूद्ध स्वयं भीष्म डटे हुए थे। एक स्थान पर द्रोणाचार्य और विराटराज में भीषण युद्ध हो रहा था। एक अन्य मोर्चे पर शिखंडी और अश्वत्थामा में लड़ाई हो रही थी। एक स्थान पर धृष्टद्युम्न और दुर्योधन युद्धरत थे। एक ओर नकुल और सहदेव अपने मामा शल्य पर बाण बरसा रहे थे। दूसरी ओर अवंती के दोनों राजा युधामन्यु से लड़ते दिखाई दे रहे थे। एक मोर्चे पर दुर्योधन के चार भाइयों की अकेला भीमसेन ख़बर ले रहा था, तो दूसरे मोर्चे पर घटोत्कच और भगदत्त में भयानक द्वंद्व छिड़ा हुआ था। एक ओर मोर्चे पर अलंबुष और सात्यकि की टक्कर थी। युधिष्ठिर का श्रुतायु के साथ द्वंद्व हो रहा था, जबकि कृपाचार्य और चेकितान एक अन्य मोर्चे पर लड़ रहे थे। द्रोणाचार्य के साथ लड़ाई में विराट को हार खानी पड़ी। विराट कुमार उत्तर एवं श्वेत पहले ही दिन की लड़ाई में काम चुके थे। सातवें दिन के युद्ध में तीसरे कुमार शंख ने पिता के देखते-देखते प्राण त्याग दिए, परंतु यह युद्ध अधिक देर नहीं चला। सूरज अस्त होने लगा और युद्ध बंद हुआ।

    आठवें दिन का युद्ध शुरू हुआ, तो पहले ही धावे में भीमसेन ने धृतराष्ट्र के आठ बेटों का वध कर दिया। एक ऐसी घटना हुई कि जिससे अर्जुन शोक-विह्वल हो उठा। उसका लाड़ला, साहसी और वीर बेटा इरावान, जो एक नागकन्या से पैदा हुआ था, उस दिन खेत रहा। इधर भीमसेन के पुत्र घटोत्कच ने जब देखा कि दुर्ग की इरावान मारा गया, तो उसने इतने ज़ोर से गर्जना की कि जिससे सारी सेना थर्रा उठी। उसके बाद वह कौरव-सेना पर टूट पड़ा और घोर प्रलय मचाने लगा। युधिष्ठिर को लगा कि घटोत्कच पर कोई आफ़त आई है। उन्होंने तत्काल भीमसेन को घटनास्थल पर भेज दिया। भीमसेन के जाने पर तो युद्ध की भयानकता और भी अधिक बढ़ गई, परंतु जल्दी ही सूर्यास्त हो गया और युद्ध बंद हुआ।

    नवें दिन के युद्ध में अभिमन्यु और अलंबुष में घोर संग्राम छिड़ गया। धनंजय के पुत्र ने पिता की ही भाँति रण-कौशल का परिचय दिया। पांडवों की सेना की पितामह ने उस दिन बड़ी दुर्गत की।

    यहाँ तक कि अर्जुन और श्रीकृष्ण दोनों को ही बड़ी पीड़ा हुई। सैनिक बहुत पीड़ित हो रहे थे। थोड़ी देर में सूर्यास्त हुआ और उस दिन युद्ध बंद कर दिया गया।

    वीडियो
    This video is playing from YouTube

    Videos
    This video is playing from YouTube

    चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

    चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

    स्रोत :
    • पुस्तक : बाल महाभारत कथा (पृष्ठ 73)
    • रचनाकार : चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Rekhta Gujarati Utsav I Vadodara - 5th Jan 25 I Mumbai - 11th Jan 25 I Bhavnagar - 19th Jan 25

    Register for free