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बाल महाभारत : चौथा, पाँचवाँ और छठा दिन

baal mahabharat ha chautha, panchvan aur chhatha din

चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

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बाल महाभारत : चौथा, पाँचवाँ और छठा दिन

चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

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    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा सातवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    पौ फटी लड़ाई शुरू हो गई। शल्य का पुत्र मारा गया। भीमसेन ने दुर्योधन के आठ भाई मार डाले। दुर्योधन ने भी निशाना साधकर भीमसेन की छाती पर एक भीषण अस्त्र चलाया। चोट खाकर भीम मूच्छित-सा होकर रथ पर बैठ गया। अपने पिता का यह हाल देखकर घटोत्कच के क्रोध का ठिकाना रहा। वह आपे से बाहर हो गया और उसने भयानक युद्ध शुरू कर दिया। घटोत्कच के भीषण आक्रमण के आगे कौरव-सेना टिक सकी सेना को विह्वल होती देखकर भीष्म ने युद्ध बंद कर दिया और सेना लौटा दी। उस दिन की लड़ाई में दुर्योधन के कितने ही भाई मारे गए। चिंताग्रस्त दुर्योधन अपने शिविर में जाकर व्यथित हृदय से बैठ गया। उसकी आँखें भर आईं। संजय कुरुक्षेत्र के मैदान का आँखों देखा हाल धृतराष्ट्र को सुनाता जाता था। वहाँ का बयान सुनते-सुनते धृतराष्ट्र व्यथित हो जाते थे। वह दुख उनकी सहनशक्ति से भारी हो जाता था, तो वह कुछ कह-सुनकर अपना शोक-भार हलका कर लेते। दुर्योधन बड़ी देर तक विचारों में डूबा रहा। इसी प्रकार सोचते-सोचते उसे नींद गई।

    सुबह होने पर दोनों सेनाएँ फिर युद्ध के लिए सज्जित हो गई। लड़ाई शुरू हो गई। उस दिन संध्या होते-होते अर्जुन ने हज़ारों कौरव सैनिकों का जीवन समाप्त कर दिया। यह देखकर पांडव-सेना के वीरों ने अर्जुन को चारों ओर से घेर लिया और ज़ोर का जय-जयकार कर उठे। उधर सूरज डूबा और भीष्म ने युद्ध बंद करने की आज्ञा दी। दोनों ओर के थके-थकाए सैनिक अपनी-अपनी छावनी की ओर चले गए।

    छठे दिन सवेरे युद्ध छिड़ते ही दोनों तरफ़ की जन-हानि बड़ी तादाद में होने लगी। पर अंत में द्रोण ने वह तबाही मचाई कि पांडव सेना के पाँव उखड़ गए।

    इसके बाद तो अंधाधुंध युद्ध होने लगा। अंत में दुर्योधन बुरी तरह घायल हुआ और बेहोश होकर रथ से गिर पड़ा। तब कृपाचार्य ने बड़ी चतुराई से उसे रथ पर ले लिया, जिससे दुर्योधन की जान बच गई। आकाश लाल हो चला। सूरज डूबना ही चाहता था। फिर भी कुछ मुहूर्त तक युद्ध जारी रहा। सूर्यास्त के बाद युद्ध समाप्त हुआ। आज का युद्ध इतना भयंकर था कि धृष्टद्युम्न और भीमसेन के सकुशल शिविर में लौट आने पर युधिष्ठिर ने बड़ा आनंद मनाया। उनकी ख़ुशी की सीमा थी।

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    चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य

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    स्रोत :
    • पुस्तक : बाल महाभारत कथा (पृष्ठ 73)
    • रचनाकार : चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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