Font by Mehr Nastaliq Web

चित्रावली सौंदर्य : तीन

chitrawali saundarya ha teen

उसमान

उसमान

चित्रावली सौंदर्य : तीन

उसमान

और अधिकउसमान

    बांके नैन तीष अति दोऊ, जगत जाहि सर पूजि कोऊ।

    राते कौंल मधुप तेहि माहीं, कहत लजाऊँ तेउ सर नाहीं॥

    कौंल देखि ससिहर कुम्हिलाने, ससि संग सवा बिगसाने।

    स्याम सेत अति दोऊ सोहाए, खंजन जानु सरद ऋतु आए।

    कै दुइ मिरिग लरत सिर नीचे, काजर रेस डोर गहि घींचे॥

    दोउ समुंद्र जनु उठहि हलौंरा, पल महं चहत जगत सब बोरा।

    तीछे हेर जाहिं चप आर्छे, चली मीन जमु आगें पाछें।

    बर कामिनी चषु सीन सम, निमिष हेर तन जाहि।

    बहुरि जनम भरि मीन जिमि, पलक लागै ताहि॥

    चित्रावली के दोनों नेत्र इतने सुंदर हैं कि संसार में उनकी समता कोई नहीं कर सकता। उसके नेत्र लाल रंग के हैं, उन में काली पुतलियाँ ऐसी हैं, जैसे कमल मे भौंरा हो। यह कहने में भी लज्जा आती है कि उसकी समता के लिए कोई उपमान नहीं है। संसार में चंद्रमा को देखकर कमल कुम्हला जाता है, पर यहाँ नेत्र रूपी कमल मुख रूपी चंद्रमा के साथ सदैव खिले रहते हैं। इन नेत्रों के दो रंग श्याम और श्वेत शोभायमान हैं। इन नेत्रों की श्वेतता एवं सुहावनेपन को शरद ऋतु समझकर खंजन पक्षी (नेत्रो में लाल रंग) गए। इन दोनों नेत्रों में काजल की रेखा की शोभा को देखकर मृग का सिर नीचा हो गया और उसकी गर्दन झुक गई। दोनों नयनों में चंचलता है। उनके चंचल हो जाने पर ऐसा लगता है मानो समुद्र में हिलोरें उठ रही है और पलभर में वे सारे संसार को डूबो देना चाहती हों। उसके नेत्रों में तीक्ष्णता है। जब यह अच्छी तरह देखती है तब लगता है कि मछलियाँ आगे-पीछे चल रही हों। इस श्रेष्ठ कामिनी के नैन मछली के समान हैं, जिसके शरीर की ओर यह क्षण भर के लिए भी देख ले तो बहुत जन्मों तक उसके नयनों में मछली की-सी चंचलता व्याप्त हो जाती है और उसकी पलक नहीं झपकती।

    स्रोत :
    • पुस्तक : चित्रावली (पृष्ठ 81)
    • संपादक : माया अग्रवाल
    • प्रकाशन : कला मंदिर
    • संस्करण : 1985

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए