वक़्त की नब्ज़ पे पकड़ रखना
wakt ki nabz pe pakaD rakhna
वक़्त की नब्ज़ पे पकड़ रखना,
हाथ में अपने ये हुनर रखना
ख़्वाब दिल में उतर के नाचेंगे,
चाँद की आँख पर नज़र रखना
ज़िंदगी सिलसिला है भटकन का,
पाँव से बाँधकर सफ़र रखना
जिस्म नाज़ुक हो फूल-सा लेकिन,
बात में अपने तुम असर रखना
फ़िक्र करना ज़माने की लेकिन,
यार अपनी भी कुछ ख़बर रखना
स्याह हो रात चाहे जितनी भी,
ज़ह्न में अपने तुम सहर रखना
- रचनाकार : लक्ष्मण गुप्त
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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