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सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं

sau mein sattar adami filhal jab nashad hain

अदम गोंडवी

अदम गोंडवी

सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं

अदम गोंडवी

और अधिकअदम गोंडवी

    सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद1 हैं 
    दिल रखकर हाथ कहिए देश क्या आज़ाद है 

    कोठियों से मुल्क़ के मेआर2 को मत आँकिए 
    असली हिंदुस्तान तो फुटपाथ पर आबाद है 

    जिस शहर में मुंतज़िम3 अंधे हों जल्वागाह के 
    उस शहर में रोशनी की बात बेबुनियाद है 

    ये नई पीढ़ी पे निर्भर है वही जजमेंट दे 
    फ़ल्सफ़ा4 गाँधी का मौज़ूँ5 है कि नक्सलवाद है 

    यह ग़ज़ल मरहूम मंटो6 की नज़र7 है दोस्तो 
    जिसके अफ़साने8 में ठंडे गोश्त की रूदाद9 है
    स्रोत :
    • पुस्तक : धरती की सतह पर (पृष्ठ 44)
    • संपादक : ओम निश्चल
    • रचनाकार : अदम गोंडवी
    • प्रकाशन : अनुज प्रकाशन
    • संस्करण : 2023

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