तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं
tumhare panwon ke niche koi zamin nahin
दुष्यंत कुमार
Dushyant Kumar
तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं
tumhare panwon ke niche koi zamin nahin
Dushyant Kumar
दुष्यंत कुमार
और अधिकदुष्यंत कुमार
तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई ज़मीन नहीं,
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं।
मैं बेपनाह अँधेरों को सुबह कैसे कहूँ,
मैं इन नज़ारों का अंधा तमाशबीन नहीं।
तेरी ज़ुबान है झूठी जम्हूरियत की तरह,
तू एक ज़लील-सी गाली से बेहतरीन नहीं।
तुम्हीं से प्यार जताएँ तुम्हीं को खा जाएँ,
अदीब यों तो सियासी हैं कमीन नहीं।
तुझे क़सम है ख़ुदी को बहुत हलाक न कर,
तू इस मशीन का पुर्ज़ा है, तू मशीन नहीं।
बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ,
ये मुल्क देखने के लायक़ तो है, हसीन नहीं।
ज़रा-सा तौर-तरीक़ों में हेर-फेर करो,
तुम्हारे हाथ में कॉलर हो, आस्तीन नहीं।
- पुस्तक : साये में धूप (पृष्ठ 64)
- रचनाकार : दुष्यंत कुमार
- प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
- संस्करण : 2019
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