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आज नदी में पाँव डुबाते

aaj nadi mein panw Dubate

विनोद श्रीवास्तव

विनोद श्रीवास्तव

आज नदी में पाँव डुबाते

विनोद श्रीवास्तव

और अधिकविनोद श्रीवास्तव

    आज नदी में पाँव डुबाते

    याद हमें किरणों की आई

    जल का बहते-बहते थमना

    लहरों में कंपन भर जाए

    कोई छवि गहरे तक उतरे

    पानी का दर्पण लहराए

    फूल पिरोते हार बनाते

    याद हमें अपनों की आई

    सुधि के पंछी लौट रहे हैं

    संध्या-वेला गाँव हमारे

    जनम-जनम की साध कुँआरी

    सँवलाई आरती उतारे

    पश्चिम में सूरज के ढलते

    याद हमें सपनों की आई

    अनुभव किए बहुत दिन बीते

    कैसे रात गंधमय होती

    कैसे कोई गीत जन्मता

    कैसे प्रीति छंदमय होती

    नीले नभ पर चाँद उभरते

    याद हमें वचनों की आई

    स्रोत :
    • रचनाकार : विनोद श्रीवास्तव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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