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गरम-गरम भात

garam garam bhaat

शान्ति सुमन

शान्ति सुमन

गरम-गरम भात

शान्ति सुमन

और अधिकशान्ति सुमन

    गरम-गरम भात जखन पातपर पड़ल

    नवका दिन तखने ओसारपर उगल

    साल भरिक बाद आइ कीनल कुरता

    देह पेट बीच परय कहाँ परता

    साबुनकेर फेन जखन हाथसँ गरल

    ताल भेल देह हँसी कमल सन हिलल

    मोन अछि बाढ़ि सुखाड़क गरमी

    सपनामे गहुम-मूंग थारीमे करमी

    लाल-लाल गमछा जँ कान्ह पर उड़ल

    पुरबी-मलार सब मचानपर रचल

    चमकल नहि बेसरि पर आँखिकेर कथा

    भूखक जंगलमे जरैत छल मनक विधा

    एक टकामे नया रूमाल जे किनल

    दिन जेना फागुनी निबंध सन लिखल

    स्रोत :
    • पुस्तक : मेघ इन्द्रनील (पृष्ठ 73)
    • रचनाकार : शान्ति सुमन
    • प्रकाशन : अभिधा प्रकाशन
    • संस्करण : 2005

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