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किसकी कौन सुने

kiski kaun sune

जय चक्रवर्ती

जय चक्रवर्ती

किसकी कौन सुने

जय चक्रवर्ती

और अधिकजय चक्रवर्ती

    किसकी कौन सुने

    लंका में

    सब बावन गज़ के

    राजा जी की

    मसनद है

    परजा की छाती पर

    राजधानी का भाग

    बाँचते

    चारण और किन्नर

    ध्वज का विक्रय-पत्र

    लिए हैं

    रखवाले ध्वज के

    पोर-पोर से

    बिंधी हुई है

    दहशत की पर्तें

    स्वीकृतियों का

    ताज संभाले

    साँपों की शर्तें

    अँधियारों की

    मुट्ठी में हैं

    वंशज सूरज के

    तार-तार

    सपनों का सीना

    टंगा टहनियों पर

    मुस्कानों पर

    गिद्धों की

    चस्पा मनहूस नज़र

    राजपथों पर

    दौड़ लगाते

    घोड़े काग़ज़ के

    स्रोत :
    • रचनाकार : जय चक्रवर्ती
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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