मेहनत के हाथों हथकड़ी
mehnat ke hathon hathkaDi
हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
Harihar Prasad Choudhary ‘Nutan’
मेहनत के हाथों हथकड़ी
mehnat ke hathon hathkaDi
Harihar Prasad Choudhary ‘Nutan’
हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
और अधिकहरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
इस मुल्क हिंदुस्तान में
दिल्ली गए सब रास्ते
कोई चमन न चमन रहा
खिलते सुमन के वास्ते
अलगाव बोकर फलवती
है, मंथरा उत्तरशती
गुमसुम कहीं वर्धा खड़ी
रोती कहीं साबरमती
भय से न अब ‘दशरथ’ कहीं
‘हे राम’ शब्द उचारते
इस मुल्क हिंदुस्तान में
दिल्ली गए सब रास्ते
कुछ देवताओं के लिए ही
था, समुंदर का मथन
हमको मिली बस वारुणी
उनको मिले चौदह रतन
कर जोड़ ‘वामन’ आज
तीनों काल छल से मापते
इस मुल्क हिंदुस्तान में
दिल्ली गए सब रास्ते
क्या ख़ूबसूरत तंत्र है
हिस्से पड़ी है मधुकरी
मिहनत के हाथों हथकड़ी
कुर्सी डटाए तस्करी
थाली सजी जनतंत्र की
धनतंत्र करते नाश्ते
इस मुल्क हिंदुस्तान में
दिल्ली गए सब रास्ते
संजीवनी कहकर चुभोई
है गई विष की सुई
घाली गई इंसानियत
पाली गई है ग़ुंडई
उद्दंडता सामंतिनी
सब शीलवंत गुमास्ते
इस मुल्क हिंदुस्तान में
दिल्ली गए सब रास्ते
भगवान, चाहो देखना
जो राष्ट्र का नैतिक पतन
सीधे चलो, सीधे चलो
सीधे चलो संसद भवन
हैं ‘राम’ भी झुककर जहाँ
‘दशकंध’ को आराधते
इस मुल्क हिंदुस्तान में
दिल्ली गए सब रास्ते
- रचनाकार : हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए सतीश नूतन द्वारा चयनित
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