Font by Mehr Nastaliq Web

मिठाई का पेड़

mithai ka peD

एक गाँव में एक चरवाहा लड़का था। वह गाँव वालों के ढोर-डंगर चराता था। अनाथ लड़का होने के कारण गाँव वाले तीज-त्योहार में उसे घर बुलाकर मिठाई-पकवान खिलाते। एक बार गाँव में एक उत्सव चल रहा था। उस दिन सुबह चरवाहा लड़का ढोर-डंगर लेकर जंगल की तरफ़ गया। गाँव वालों ने उसे मिठाई खाने के लिए दी। इसलिए वह मिठाई अपने साथ लेकर जंगल गया। भूख लगने पर खाने लगा, पर सारा खा नहीं पाया। बची हुई मिठाई को गड्ढा खोदकर दफ़ना दिया।

कुछ दिन के बाद उसी जगह से एक पेड़ उगा। पेड़ बड़ा हुआ। उसमें मिठाई फलने लगी। अब वह लड़का जब भी भूख लगती, उस मिठाई के पेड़ के पास जाता, मिठाई तोड़कर खा लेता और पेड़ पर बैठकर मस्ती में वंशी बजाता।

एक दिन एक राक्षसी उस रास्ते से जा रही थी। उस समय वह लड़का पेड़ पर बैठकर वंशी बजा रहा था। उसका सुंदर मुखड़ा देखकर बूढ़ी राक्षसी का मन उसे खाने के लिए हुआ। पेड़ के नीचे पहुँचकर फुसलाते हुए बोली, “अरे बेटा, पेड़ में इतनी मिठाई फली है, मुझे भी कुछ देता तो मैं खाती।”

लड़का बोला, “मैं मिठाई तोड़कर नीचे फेंक रहा हूँ। तुम उठाकर खा लेना।”

बूढ़ी राक्षसी बोली, “ज़मीन पर गिरेगी तो धूल-मिट्टी लग जाएगी।”

लड़का बोला, “तो फिर अपना आँचल फैला, मैं उसी पर मिठाई डाल दूँगा।”

बूढ़ी राक्षसी बोली, “बेटा आँचल पर मिठाई डालोगे तो वह महकेगा। तू कुछ मिठाई तोड़कर पेड़ से नीचे उतरकर मुझे दे देता।”

लड़का बूढ़ी राक्षसी के छल-कपट को जान नहीं पाया। वह पेड़ से नीचे उतर आया। जैसे ही ज़मीन पर उसने पैर रखा, राक्षसी ने उसे झट से पकड़ लिया। उसे एक बोरे में भरकर अपने घर ले गई। घर पहुँचकर बोरे से लड़के को बाहर निकाला और अपनी नातिन से बोली, “बेटी! इस लड़के को इस खंभे से बाँधकर नहाने जा रही हूँ। इसे मारकर इसकी सब्ज़ी बना देना। देख रही है ना कितना सुंदर लड़का है। इसका माँस खाऊँगी मैं।”

ऐसा कहकर बूढ़ी राक्षसी नहाने चली गई। लड़के का रूप देखकर लड़की को उसके ऊपर दया गई। उसने उसका बंधन खोल दिया और उससे सारी बातें पूछ ली। फिर दोनों बातचीत करने लगे। लड़की बोली, “यह बूढ़ी मेरी कोई नहीं है। मेरे पैदा होने से पहले ही यह मेरी माँ को यहाँ उठा लाई थी। यहीं मेरा जन्म हुआ। बूढ़ी मेरी माँ को खा गई। पर मुझे बड़े प्यार से पाला है। वह माँस खाती है और मैं जंगल के फल-फूल खाती हूँ।”

बातचीत करते समय लड़के की नज़र राक्षसी बूढ़ी के घर की छत पर पड़ी, जहाँ कई पोटलियाँ झूल रही थीं। लड़के ने जानना चाहा कि वह सब क्या है। तब लड़की ने बताया कि, “एक पोटली है, वह आँधी-तूफ़ान की है। उसे खोल देने पर ख़ूब तेज़ हवा बहेगी। दूसरी पोटली में ओले हैं। उसे खोल देने पर ओले की वर्षा होने लगेगी। तीसरी पोटली में पानी है। उसे खोल देने पर काफ़ी पानी गिरेगा। उसके बग़ल में है अँधेरे की पोटली। उसके बाद की पोटली में जलता गोला है। और आख़िरी वाले में एक काला भँवरा है जिसमें राक्षसी बूढ़ी के प्राण हैं। उसे मार देने पर बूढ़ी राक्षसी मर जाएगी।”

यह बात सुनकर लड़का बहुत ख़ुश हो गया। दोनों ने वहाँ से भागने की तैयारी कर ली। साथ में सारी पोटलियों को लेकर गाँव की तरफ़ दौड़ने लगे। बूढ़ी राक्षसी ने आकर देखा तो चरवाहा लड़का और नातिन दोनों नहीं हैं। चारों तरफ़ उसने जो नज़र घुमाई तो देखा कि दोनों गाँव की तरफ़ दौड़ते हुए भागे जा रहे हैं। वह फिर उन्हें पकड़ने के लिए उनके पीछे दौड़ने लगी। बूढ़ी राक्षसी को आता देखकर दोनों घबरा गए। तुरंत ओले वाली पोटली खोल दी। चारों तरफ़ ख़ूब तेज़ ओले गिरने लगे। पर बूढ़ी राक्षसी उस सब की परवाह किए बग़ैर दौड़ती रही। तब उन्होंने आँधी-तूफ़ान वाली पोटली खोल दी। इसमें से ख़ूब तेज़ हवाएँ चलने लगीं। पर बूढ़ी राक्षसी फिर भी नहीं रुकी। तब दोनों ने बरसात वाली पोटली खोल दी। ख़ूब पानी गिरने लगा, पर बूढ़ी राक्षसी बेपरवाह आगे बढ़ती रही। अब दोनों ने अँधेरे वाली पोटली खोली। पर बूढ़ी राक्षसी अपनी आँखों से रोशनी निकालकर अँधेरे में बढ़ती रही। आख़िर में दोनों ने आग के गोले वाली पोटली खोली। चारों तरफ़ आग फैल गई। बूढ़ी राक्षसी ने थूक डालकर आग को बुझा दिया और उनका पीछा करने लगी। कोई चारा देख आख़िर में दोनों ने बूढ़ी राक्षसी की जान वाली पोटली खोली। भँवरे को बाहर निकालकर उसके दोनों पैरों को तोड़ दिया। इसके कारण बूढ़ी राक्षसी के दोनों पैर टूट गए। फिर भी बूढ़ी राक्षसी घिसटते हुए दोनों का पीछा करती रही। अब दोनों ने भँवरे की दोनों आँखें फोड़ दीं। बूढ़ी राक्षसी अंधी हो गई। फिर भी उसने पीछा करना नहीं छोड़ा। टटोलते-टटोलते आगे बढ़ती रही। तब तक दोनों गाँव के पास पहुँच गए थे। बूढ़ी राक्षसी उन्हें पकड़ने के लिए पूरा ज़ोर लगा रही थी। अब और कोई रास्ता पाकर दोनों ने भँवरे को मार दिया। तब बूढ़ी राक्षसी ख़ूब तेज़ चीत्कार करके चारों ख़ाने चित्त हो वहीं गिरकर मर गई। गाँव वाले दौड़कर वहाँ पहुँचे। बूढ़ी राक्षसी को मरा हुआ देखकर सब बहुत ख़ुश हुए। चरवाहे के लड़के ने उस लड़की से विवाह कर लिया। दोनों घर-परिवार बसा कर आनंद के साथ रहने लगे।

स्रोत :
  • पुस्तक : ओड़िशा की लोककथाएँ (पृष्ठ 114)
  • संपादक : महेंद्र कुमार मिश्र
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
  • संस्करण : 2017
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY