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मैथिली लोकगीत : चलु सखिया हे मलिया के बगवा रामा

maithili lokgit ha chalu sakhiya he maliya ke bagwa rama

रोचक तथ्य

संदर्भ—विरहिणी का कथन सखी से।

चलु सखिया हे मलिया के बगवा रामा,

कि चलु सखिया हे।।1।।

डाला भरि लोढ़वीं चँगेरि भरि लोढ़वीं,

कि भरवौं खोंइछवा रामा,

कि चलु सखिया हे।।2।।

फुलवा लोढ़ि लोढ़ि हरवा गुँथइवौं,

पिया गरबा पेन्हइवौं,

कि चलु सखिया हे।।3।।

रात होत पिया घरवा में अयताह,

सेजिया झारि गले लपटयताह रामा,

कि चलु सखिया हे।।4।।

हे सखी! माली के बग़ीचे में चलो।।1।।

हे सखी! चलो, मैं वहाँ डाला भर और चँगेरी भर फूल चुनूँगी और उससे कोंछ भर लूँगी।।2।।

हे सखी! मैं फूलों को चुन-चुनकर हार गूँथूँगी और उसे पिया के गले में

पहनाऊँगी, चलो।।3।।

हे सखी! रात होते ही मेरे प्रिय घर आएँगे। मैं सेज झाड़ कर उन्हें गले से लिपटाऊँगी। बग़ीचे चलो।।4।।

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