कनौजी लोकगीत : हम तौ अकेली सँइआँ, सबना लुटाय दीजौ
kanauji lokgit ha hum tau akeli sanian, sabna lutay dijau
रोचक तथ्य
संदर्भ—नेग वर्णन।
हम तौ अकेली सँइआँ, सबना लुटाय दीजौ।।टेक।।
सास जो आमें सँइआँ, द्वारे ते लउटाय दीजौ।
सास को नेग मोरी अम्मा ते कराय लीजौ।।1।।
जिठनी जो आमें सँइआँ, द्वारे ते लउटाय दीजौ।
जिठनी को नेग मोरी भउजी ते कराय लीजौ।।2।।
ननदी जो आमें सँइआँ, द्वारे ते लउटाय दीजौ।
नन्दी को नेग मोरी बहिनी ते कराय लीजौ।।3।।
दिउरा जो आमें सँइआँ द्वारे ते लउटाय दीजौ।
दिउरा को नेग मोरे भइआ ते कराय लीजौ।।4।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 230)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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