बुंदेली लोकगीत : जसुदा बरजौ अपने लाल का
bundeli lokgit ha jasuda barjau apne lal ka
रोचक तथ्य
संदर्भ—यशोदा, राधा तथा कृष्ण का वार्तालाप।
जसुदा बरजौ अपने लाल का, बंसी न टेरै रात।
बंसी बाजै सुरीली तौ म्वाहै तीनों लोक।।1।।
मना कइले बेटी तैं आपुन जमुनै न पानी जाय।
मैं घूमौं बन गैल मैं, गगरी लेय उतार।।2।।
जौने घाट माँ कुँवर कन्हैया, वही पै राधा जाय।
दही दान तै दै दे राधिका, फेरि उतरि जा घाट।।3।।
तनक सा दहिया खायेस रे, मटकी डारेस फोर।
अब न आउब गोकुलै, जहाँ होवै लाग अनीत।।4।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 355)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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