भोजपुरी लोकगीत : रउरे चरन कमल बलिहारी
bhojapuri lokgit ha raure charan kamal balihari
रोचक तथ्य
संदर्भ—भोजन करते समय गाली।
रउरे चरन कमल बलिहारी, रघुनाथ लाल।।टेक।।
जेंवहि बइठेले राजा दसरथ जी हो,
दायें बायें सुतचारी, रघुनाथ लाल।।1।।
राम जेंवेंले लछुमन हाथ सकोरेले हो,
परेला कोसिला जी पर गारी, रघुनाथ लाल।।2।।
जाहुँ तहरो ए बाबू गारी के लाज बाटे,
काहे के अइले ससुरारी, रघुनाथ लाल।।3।।
तीन तीन रानी राजा दसरथ जी के,
एक पुरुषवा बलिहारी, रघुनाथ लाल।।4।।
सेकर धरमवा कइसे बनी, मरदवा के,
सभ लोग दीन्हे गारी, रघुनाथ लाल।।5।।
हे रघुनाथ जी! आपके चरण कमलों की बलिहारी है।
जब राजा दशरथ जी विवाह-मंडप में भोजन करने बैठे तो उनके दाएँ-बाएँ उनके चारों पुत्र बैठे।।1।।
राम भोजन कर रहे थे, किंतु लक्ष्मण हाथ सिकोड़े हुए थे, क्योंकि कौशल्या जी पर गाली पड़ रही थी।।2।।
एक स्त्री ने उनसे पूछ ही लिया—हे बाबू! यदि गाली की लाज है तो फिर
ससुराल क्यों आए?।।3।।
राजा दशरथ के तीन-तीन रानियाँ हैं और वे एक मात्र पुरुष हैं, बलिहारी
है (एक पुरुष तीन स्त्रियाँ)।।4।।
उस पुरुष का कर्म (पति-धर्म) कैसे निभेगा। इसी से सभी स्त्रियों ने गाली दी।।5।।
- पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 97)
- संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
- प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
- संस्करण : 2002
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