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भोजपुरी लोकगीत : नव दुअरिया नव खम्भा गड़ावे रे

bhojapuri lokgit ha naw duariya naw khambha gaDawe re

रोचक तथ्य

संदर्भ—पुत्र के जनेऊ के लिए माता की प्रार्थना।

नव दुअरिया नव खम्भा गड़ावे रे।

ताही तरे सुतेले कवन बाबा सुख नीन रे।।1।।

आहोरे पइसी जगावेली कवन देई,

सुनु पिया पंडित रे।

बरहो बरिसवा के लालाना,

बरुआ देइ घालहु रे।।2।।

नौ द्वार हैं और नौ खंभे गड़े हैं, उसी विशाल भवन में नीचे कोई पिताजी सुख की नींद सो रहे हैं।।1।।

पत्नी उन्हें जगा रही है। वह उनसे कहती है—हे प्रिय पंडित सुनिए। अब लाड़ला पुत्र बारह वर्ष का हो गया है। ब्रह्मचारी के रूप में उसका जनेऊ कर दीजिए।।2।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 90)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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