मोरे पिछ्वरवा लोहरा बेटउना
more pichhvarva lohra betauna
मोरे पिछ्वरवा लोहरा बेटउना हो ना
भइया गढ़ि देस्या संकरी करहिया हो ना।
मोरे पिछ्वरवा तेलिया बेटउना हो ना
भइया चारि मेटा तेल पेरि देत्या हो ना।
मोरे पिछ्वरवा बढ़ई बेटउना हो ना
भइया चारि बोझा चइला चीरि देत्या हो ना।
मोरे पिछ्वरवा नउवा बेटउना हो ना
भइया नइहरे में खवरि जनौत्या हो ना।
- पुस्तक : पूर्वांचल के लोकगीत (पृष्ठ 18)
- संपादक : बी.एल.द्विवेदी, कपिल तिवारी और नवल शुक्ल
- प्रकाशन : मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद्, भोपाल का प्रकाशन
- संस्करण : 1998
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