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तन कौ कौन भरोसो करनें

tan kau kaun bharoso karnen

ईसुरी

ईसुरी

तन कौ कौन भरोसो करनें

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    तन कौ कौन भरोसो करनें!

    आखिर इक दिन मरने!

    जौ संसार ओस कौ बूंदा, पवन लगें से ढरनें॥

    जौ लौं जी की जियन जोरिया, जी सों जै दिन भरनें॥

    ‘ईसुर’ संसार आन कें, बुरए काम में डरने॥

    इस देह का क्या भरोसा करना? आख़िरकार मरना तो है ही। यह जगत ओस की बूँद जैसा है, जो हवा लगते ही नष्ट हो जाता है। जिसके जीवन की डोर जितनी लंबी है, उसे उतने दिन भरना भुगतना है। अरे ईसुरी! इस संसार में आए हो तो बुरे काम से डरो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें (पृष्ठ 80)
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

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