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गोरी तोरे नैंन उरजैला

gori tore nainn urajaila

ईसुरी

ईसुरी

गोरी तोरे नैंन उरजैला

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    गोरी तोरे नैंन उरजैला!

    छले छबीले छैला!

    गैलारन पै चोट करत हैं, बाँदे रात चुगैला॥

    हँस मुसकात दाउनी सी दएँ, करौ गाँव दबकैला॥

    इन से जस नाहुइऐ ‘ईसुर’ आँगे अपयस फैला॥

    गोरी तुम्हारे नैन उलझने वाले हैं। उन्होंने छबीले रसिकों को फाँस लिया। वे राहगीरों पर चोट करते हैं और चौराहे की नाकाबंदी रखते हैं। तुम हँस मुस्काकर आग-सी लगा देते हो। सारे गाँव को तुमने दबैल बना लिया है। अरे ईसुरी! वे यश नहीं कमा सकते। उनके आगे अपयश ही अपयश है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें (पृष्ठ 214)
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

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