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आओ पत्रिका निकालें

aao patrika nikalen

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

आओ पत्रिका निकालें

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

और अधिकसर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा आठवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    बहुत-से बच्चों को लेखक बनने का शौक़ होता है—अपना नाम पत्रिकाओं में छपा देखने का, बड़े होने पर अपने नाम की किताब छपी देखने का। यह कोई बुरी बात नहीं बल्कि अच्छी बात है लेकिन इसके लिए तैयारी ज़रूरी है, जैसे खिलाड़ी बनने के लिए ज़रूरी है। दुनिया के अधिकतर बड़े लेखकों ने अपनी पत्रिकाएँ निकाली हैं। तुम भी अपनी पत्रिका निकाल सकते हो।

    बाज़ार से रूलदार काग़ज़ ले आओ। अपने भाई-बहनों से, अपने स्कूल और मुहल्ले के साथियों से बातचीत करो। उनसे कहो कि पत्रिका निकालने जा रहे हो। वे तुम्हारी पत्रिका के लिए कुछ लिखें—कविता, कहानी, लेख, चुटकुले जो भी जी में आए। इसके लिए तुम्हें अपनी रचना दे दें।

    जब सारी रचनाएँ इकट्ठी कर लो तब उसे साफ़-साफ़ हाथ से रूलदार काग़ज़ पर लिख लो या तुम्हारे साथियों में जिसकी हस्तलिपि बढ़िया हो उससे लिखा लो। अगर कोई ड्राइंग या पेंटिंग बनाना चाहे तो उसी साइज़ के बिना रूलवाले, पर उससे बनवा लो। फिर उसे रचनाओं के बीच-बीच में लगा लो। सबको इकट्ठा कर ख़ुद ही सी लो।

    पत्रिका को ख़ूबसूरत बनाने के लिए उसका कवर मोटे काग़ज़ का रखो और उस पर रंगीन काग़ज़ व रंग से सजावट कर लो। अपनी पत्रिका का कुछ नाम रख लो। पृष्ठों पर नंबर डाल लो। शुरू में एक सूची बना लो। किस पृष्ठ पर किसकी रचना है वहाँ लिख दो। पर तुम्हारी पत्रिका कितनी छोटी-बड़ी हो या कितने लोग कितना लिखेंगे, इसके हिसाब से तय करो। रंगीन पेंसिलों से हर पृष्ठ का हाशिया बेल-बूटेदार बना सकते हो। कोशिश करो कि तुम्हारे साथी लेखक अपना सोचकर लिखें, जो न लिख पाएँ वह दूसरे किसी लेखक की रचना लिखें, लेकिन चोरी न करें। उस लेखक की रचना है, यह लिख दें।

    अपनी पत्रिका निकालने के लिए तुम पाँच बातें ज़रूर ध्यान में रखो—

    1. हिज्जे दुरुस्त हों और भाषा और व्याकरण की अशुद्धियाँ न हों। किसी बड़े को पहले दिखा सकते हो।

    2. अपनी लिखी मौलिक रचना को लेख, कहानी, कविता जो कुछ भी हो पहला स्थान दो। दूसरे की प्रिय रचना को दूसरा स्थान दो। चोरी की रचना मत दो।

    3. लिखने-लिखाने से पहले यदि साथी लेखक चाहते हों तो उनसे बात कर लो। क्या लिख रहे है उस पर साथ मिलकर विचार कर लो।

    4. तुम अपनी पत्रिका निकाल रहे हो अतः संपादक होने का घमंड मत करो बल्कि अपने लेखकों को प्यार करो, उन्हें आदर-सम्मान दो। कमज़ोर रचना को ठीक करना हो तो उनको बता दो।

    5. पत्रिका लिखावट और सजावट में जितनी ख़ूबसूरत बना सकते हो, बनाओ।

    जब तुम्हारी पत्रिका सिल-सिलाकर तैयार हो जाए तो सारे लेखक साथियों को इकट्ठा करो और यदि माँ चाय-पकौड़ी का जुगाड़ कर दें तो क्या कहने!

    पत्रिका के अंत में कुछ पृष्ठ कोरे छोड़ना न भूलना। इस पर अपने माता-पिता, अध्यापक या आसपास के कुछ छोटे-बड़े लेखक हों तो उनसे उनकी राय लिखवा लेना। फिर स्कूल खुलने पर अपने-अपने शिक्षकों को भी दिखाना, उनकी राय लिखवाना और यदि चाहो तो अपने स्कूल के प्रमाण-पत्र के साथ हमें अपनी पत्रिका निकालने की सूचना देना।

    वैसे दुनिया के बड़े लेखकों ने अपनी ख़ुशी के लिए शुरू-शुरू में अपने हाथ से लिखी पत्रिकाएँ निकाली हैं, किसी नाम के लिए नहीं। चाहो तो उनका यह रास्ता अख़्तियार कर सकते हो। हमारी शुभकामनाएँ अभी से लो! 

                         

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    सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

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    स्रोत :
    • पुस्तक : दुर्वा (भाग-3) (पृष्ठ 116)
    • रचनाकार : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
    • प्रकाशन : एन.सी. ई.आर.टी
    • संस्करण : 2008
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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