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उदै राज खेलौ हँसौ

udai raj khelau hansau

उदयराज जती

उदयराज जती

उदै राज खेलौ हँसौ

उदयराज जती

और अधिकउदयराज जती

    उदै राज खेलौ हँसौ, मनिखा देही सार।

    इह सगपण जिवतन मिलण, बहुरि दूजी बार॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी नीति-काव्य-धारा (पृष्ठ 87)
    • संपादक : भोलानाथ तिवारी
    • रचनाकार : उदयराज जती
    • प्रकाशन : किताब महल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1984

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